नींद में हैं सब यहाँ
सब दिखे पर बेज़ुबान
क्या कशमकश भरा है ये मैदान
ना तू शैतान ना मैं इंसान
जीने की चाह में हैं ज़िंदगियाँ दाँव पर
झूठ के इस धूप तेरा सच खड़ा है पाँव पर
सर झुका के जो खड़ा वो सर कटा तो क्या फ़िक्र
ज़मीर से जो सर फिरा वो सर तेरा है क्यों मगर
क्या कशमकश भरा है ये मैदान
ना तू शैतान ना मैं इंसान
How The Tables Have Turned and Burned
1 day ago
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