Wednesday, March 5, 2014

पंछी

हवा के तेज़ झोंके को झेल ना सका
कैसे कमज़ोर पंख हैं तेरे पंछी
तिंकों का घोंसला टूटा तेरा
कैसा कमज़ोर घोंसला रे तेरा पंछी
क्यों रोए तू अपने हालात से हार कर
ज़रा हंस के तो देख ले अपने हालात पर तू मगर
जीत तेरी मुट्ठी में आकर गिरेगी
हाँ, जीत तेरी मुट्ठी में आकर गिरेगी
ज़रा ज़ोर से पर हिला
हवा रासता बना ही देगी
बहती लहरों में फँसी कश्ती संभाल
किनारे तक खुद लहर ले ही जाएगी.

ज़रा ज़ोर से पर हिला
हवा रासता बना ही देगी
बहती लहरों में फँसी कश्ती संभाल
किनारे तक खुद लहर ले ही जाएगी मेरे पंछी

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