One of my favourite songs is "Phoolon ke rang se" from Prem Pujaari with lyrics by the great Gopaldas Neeraj. I always wanted to do my version of the lyrics. Here goes(1 st para ) -
सागर के मोती,दीपक की ज्योति
ऐसी नज़र मुझको आए
कैसी ये सूरत,अजंता की मूरत
दिल से धड़कन तू चुराए
आँखें छुपाऊँ,या खुद छुप जाऊँ,तू मुझको ढूँढ ही लाए
तू पास आए, मन महक जाए, ऐसा भी दिन एक आए
हो पाके तुझको ऐसे लगे की, मुट्ठी में पानी समाए
सोती पलकों मे तेरा ही चेहरा मुझको क्यों नज़र आए
हाँ जिसको भी देखूं, उसमे तेरी छाया क्यों दिख जाए
सोती पलकों मे तेरा ही चेहरा मुझको क्यों नज़र आए.
I wish Neeraj ji gets to read this and would love to hear his comments on this, Good ,bad ugly, Whatever :)
सागर के मोती,दीपक की ज्योति
ऐसी नज़र मुझको आए
कैसी ये सूरत,अजंता की मूरत
दिल से धड़कन तू चुराए
आँखें छुपाऊँ,या खुद छुप जाऊँ,तू मुझको ढूँढ ही लाए
तू पास आए, मन महक जाए, ऐसा भी दिन एक आए
हो पाके तुझको ऐसे लगे की, मुट्ठी में पानी समाए
सोती पलकों मे तेरा ही चेहरा मुझको क्यों नज़र आए
हाँ जिसको भी देखूं, उसमे तेरी छाया क्यों दिख जाए
सोती पलकों मे तेरा ही चेहरा मुझको क्यों नज़र आए.
I wish Neeraj ji gets to read this and would love to hear his comments on this, Good ,bad ugly, Whatever :)