तुम सुधर गये , हम बिगड़ गये
ज़िंदगी की कशमकश में,
तुम उभर गये , हम बिखर गये
वक़्त के सितम का बोझ, हमने झेला
हमारे दर्द के साथ, तुमने खेल वो खेला
धंसते गये ज़मीन में हम,सीढ़ी तुम्हारी बनते बनते
लो उपर पहुँच गये तुम,कदम बढ़ाए हंसते हंसते
पलट के देख ज़रा लेना साथी जो बिछड़ गये
तुम सुधर गये , हम बिगड़ गये
ज़िंदगी की कशमकश में
तुम उभर गये , पर ,हम बिखर गये
ज़िंदगी की कशमकश में,
तुम उभर गये , हम बिखर गये
वक़्त के सितम का बोझ, हमने झेला
हमारे दर्द के साथ, तुमने खेल वो खेला
धंसते गये ज़मीन में हम,सीढ़ी तुम्हारी बनते बनते
लो उपर पहुँच गये तुम,कदम बढ़ाए हंसते हंसते
पलट के देख ज़रा लेना साथी जो बिछड़ गये
तुम सुधर गये , हम बिगड़ गये
ज़िंदगी की कशमकश में
तुम उभर गये , पर ,हम बिखर गये
good attempt
ReplyDeletegood one :)
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