Thursday, September 24, 2015

Ehsaas

बुझते दिए को तेल की बूँद जैसे
कड़ाके की ठंड में धूप हो जैसे
कड़ी बारिश में पेड़ के घने पत्ते हो जैसे
अकेलेपन मे तेरा एहसास हो वैसे